Skip to main content

CE Estimating And Costing- Introduction



प्राक्कलन (Estimate) :- किसी निर्माण कार्य (Project) में लगने वाली लागत(Cost) का पूर्वानुमान लगाना या संभावित लागत प्राक्कलन कहलाती हैं।

            Purpose of Estimate (प्राक्कलन का उद्देश्य) :-
1)    निर्माण कार्य की लागत (Cost) का पूर्वानुमान ।
2)    श्रमिकों (Laborer) और विभिन्न प्रकार के सामग्री (Material) की मात्रा (Quantity) निकलना ।
3)    कार्य के पूरा होने में लगने वाला समय ।
4)    निविदा आमंत्रण (Tender Invitation) और ठेका व्यवस्थित (Contract Manage) करने के लिए भी प्राक्कलन चाहिए ।

  



      Types Of Estimate (प्राक्कलन के प्रकार ) :- ये दस प्रकार के होते हैं –

1)    Preliminary Estimate (प्रारम्भिक प्राक्कलन) :- किसी Project की प्रारम्भिक लागत ज्ञात करने के लिए । योजना के नीति-निर्धारण के लिए। इसमें भूमि की लागत, प्रत्येक भवन की लागत, सडकों, जल आपूर्ति, बिजली, सफाई कार्य इत्यादि शामिल किये जाते हैं और फुटकर व्यय (5%-10%) तथा साईट प्लान लिए जाते हैं।

2)    Detailed Estimate (विस्तृत प्राक्कलन) :- ये सबसे परिशुद्ध (accurate) प्राक्कलन हैं । इसमें project के Elevation/Plan Sectional Drawing और सभी Drawing होनी चाहिए ।
ये दो Steps में होता हैं – 

a)    मापों का ब्यौरा तथा परिणामों की गणना :-
इसमें मद (Item) के विभिन्न प्रकारों की मात्रा अलग-अलग निकलकर कुल सामग्री की मात्रा निकली जाती हैं । 

b)    अनुमानित लागत सार या राशि सूची :- इसमें सभी मद (Item) की कुल मात्रा की अलग-अलग लागत निकलकर “अंतिम लागत” निश्चित की जाती हैं । जिसमे labor, material, फुटकर और ठेकेदार का Profit शामिल किया जाता हैं ।
इसमें Report, विस्तृत विशिष्टियाँ (Detailed Specification), Plan, Elevation, Site Plan, Index Plan (सूचक नक्शा), Calculation and design Foundation, Beam, Slab, Lintel, Irrigation design etc.. 

3)    Plinth Area Estimate (कुर्सी तल प्राक्कलन) :- किसी भी भवन का छतदार क्षैत्रफल (Covered Area) कुर्सी क्षैत्रफल कहलाता हैं । खुले क्षेत्र जैसे- बरामदा, आँगन इत्यादि को कुर्सी क्षेत्रफल में शामिल किया जाता हैं ।
इसमें Plan के विशिष्टीकरण (Specification), सेवाएँ (बिजली, पानी आदि) की Cost, Plan पर North Direction आदि शामिल की जाती हैं । 

4)    Cubical Rate Estimate (घनाकार दर प्राक्कलन) :- इसमें Plinth Area को Height से गुणा कर आयतन (Volume) निकलते हैं फिर “घनाकार दर (Cubical Rate)” से गुणा करके कुल लागत निकलते हैं। 

5)    Approximate Quantity Method Estimate :- इसमें संरचना को विभिन्न भागों में बांटकर प्रति इकाई लम्बाई के लिए मद (Item) की मात्रा निकलते हैं तथा “कुल मात्रा” को “कुल लम्बाई” से गुणा करके प्राक्कलन निकलते हैं । इसमें “Detailed Report, Site Plan, भूमि का अर्जन, बिजली तथा पानी की सुविधा आदि शामिल करते हैं । 

6)    Revised Estimate ( संशोधित प्राक्कलन ) :- जब निर्माण सामग्री की दरों एवं मजदूरों की दरों या दोनों में किसी कारण से Rate में बढ़ोत्तरी हो जाने से Original Estimate में 5% से अधिक Difference आ जाएँ
       यदि बनाये गये Estimate में कमी या गलती का पता चले तो एक Revised Estimate बनाये जाते हैं।
       इसमें Original Estimate के Item की Rate तथा “वर्तमान रेट” का तुलनात्मक सारणी (Comparison Table) बनाकर “स्वीकृत (Accept)” करवाना पड़ता हैं ।


7)    Supplementary Estimate (अनुपूरक प्राक्कलन) :- इसका उपयोग तब करते हैं जब किसी project में कोई छोटा-बड़ा Change करना हों । इसमें Changing Part की design, Plan, Elevation etc. लगाकर “Detailed Estimate” तैयार किया जाता हैं तथा पूरी Process करनी पड़ती हैं । 

8)    Percentage Rate Estimate ( प्रतिशत दर प्राक्कलन ) :- यह project की मूल लागत के कुछ Percent (mostly 1.5%-2%) Annual Repair Works, maintenance and फुटकर के लिए Estimate बनाये जाते हैं । Building में रँगाई-पुताई, सड़क रिपेयर व अन्य टूट-फुट आदि कार्यों की मरम्मत के लिए “Percentage Rate Estimate” सही मन जाता हैं । 

9)    Material and Labor Based Estimate ( सामग्री एवं श्रम आधारित प्राक्कलन ) :- इसमें संरचना में लगने वाले पदार्थों की Cost निकलते हुए कुल लागत का 35%-40% labor work cost जोड़ते हैं ।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Rate Analysis

Rate Analysis :-   किसी मद की एक “Fix मात्रा (Volume)” के आधार पर उसमे लगने वाली सामग्री (ईंट, रेत, सीमेंट आदि) की Quantity के आधार पर material cost निकालते हैं फिर उसमें लगने वाले labour (राज, बेलदार, कूली आदि) की गणना कर labour cost निकलते हैं । उसमें 1.5% पानी का खर्च व 10% ठेकेदार का Profit जोड़कर total cost निकाल कर उसमें “fix मात्रा (volume)” का भाग लगाकर “ईकाई कार्य की लागत” निकलना, “दर विश्लेषण” कहलाता हैं । Factor Affecting Cost of Work :- work व material की specification, material की quality, मसाले का ratio, constructive proceeding etc..   Material की quantity & Rate, विभिन्न श्रेणी के labourers की संख्या & rate । Position of Site (Working Place) & materials की   source से दुरी, Transport Rate , पानी की उपलब्धता । Contractor का लाभ, उपरी व फुटकर व्यय । Prime Cost :- दुकान में किसी material की real cost ही ‘मूल लागत’ कहलाती हैं । अर्थात् किसी item की buying price तथा site तक लाने में लगा भाडा, ‘Item की p...

CE Estimating and Costing - Introduction part-2

Common items of works in Civil Engineering Construction works and Method of Measurements :- 1)     Earth Work ( मृदा कार्य ) :- ये आयतन (m 3 या ft 3 ) में लिया जाता है । नींव में ‘खुदाई निकलने के लिए’ नींव के सबसे चौड़े खसके की “चौड़ाई” को नींव की लम्बाई तथा गहराई से गुणा करते हैं ।   नींव में “भराई निकलने के लिए” आतंरिक लम्बाई और चौड़ाई को गहराई से गुणा करते हैं । 2)     Concrete in Foundation ( नींव में कंक्रीट) :- इसका मापन m 3 होता हैं । Concrete की मोटाई 20cm-50cm (mostly 30cm) होती हैं । नींव में CementConcrete1:4:8या 1:5:10 के Ratio में लिया जाता हैं ।   Soling :- ये m 2 में होता हैं । इसका उपयोग कमजोर आधार वाले स्थानों पर ईंट या पत्थर की layer लगाकर करते हैं ।   4 )     Damp Proof Course (सील रोक रद्दा ) :- यह plinth के उपर सघन Cement Concrete 1:1.5:3 का 2.5cm मोटा या सीमेंट का सघन मसाला 1:2 का 2cm कवर लिया जाता हैं । ये m 2 में लिया जाता हैं । इसको दरवाजों और खिड़कीयो...