Rate Analysis :-
किसी मद की एक “Fix मात्रा (Volume)” के आधार पर उसमे लगने
वाली सामग्री (ईंट, रेत, सीमेंट आदि) की Quantity के आधार पर material cost
निकालते हैं फिर उसमें लगने वाले labour (राज, बेलदार, कूली आदि) की गणना कर
labour cost निकलते हैं। उसमें 1.5% पानी का खर्च व 10% ठेकेदार का Profit जोड़कर
total cost निकाल कर उसमें “fix मात्रा (volume)” का भाग लगाकर “ईकाई कार्य की
लागत” निकलना, “दर विश्लेषण” कहलाता हैं।
Factor Affecting Cost of Work :-
- work व material की specification, material की quality, मसाले का ratio, constructive proceeding etc..
- Material की quantity & Rate, विभिन्न श्रेणी के labourers की संख्या & rate।
- Position of Site (Working Place) & materials की source से दुरी, Transport Rate, पानी की उपलब्धता।
- Contractor का लाभ, उपरी व फुटकर व्यय।
Prime Cost :-
दुकान
में किसी material की real cost ही ‘मूल लागत’ कहलाती हैं।
अर्थात् किसी item की buying price तथा site तक लाने में
लगा भाडा, ‘Item की prime cost’ कहलाती हैं।
Provisional Sum :-
जब किसी special work को कोई special firm करती हैं जिसका
विवरण Estimate के समय पता न हो तो उस special work के लिए उसे ‘अंतिम धनराशी’
कहते हैं।
जैसे-
- जिन कार्यो की माप नहीं ली जा सकती या जिन्हें निर्माण के बाद ही नापा जा सकता हैं।
- खुदाई का परिमाण पहले से निश्चित न किया जा सकें तो खुदाई की मद तथा परिमाण अंतिम कहें जाएँगे।
- भवन में बिजली connection लेने का व्यय।
Day Work :-
आवश्यक material and labourers की संख्या के आधार पर किसी
मद के मूल्य निर्धारण को ‘ दिहाड़ी का काम’ कहते हैं।
उसके
भुगतान के लिए contractor को एक Resistor रखना होता हैं जिसमें material and labourer
ने कितने घंटे काम किया वह लिखा जाता हैं।
इसमें (day work में) परिवहन, ठेकेदार का मुनाफा तथा ऊपरी
खर्चे, औजार तथा मशीनें आदि भी शामिल होते हैं।
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